।इजरायल ने पार की सारी हदें, नेतन्याहू ने क्यों माँगीं कैमरे पर माफ़ी?
"हम एक नैतिक सेना हैं और नैतिकता के उच्चतम मानकों पर चलते हैं।"
यह वाक्य इजरायल के नेताओं और सेना प्रमुखों का पसंदीदा बयान रहा है। लेकिन हाल के दिनों में गाजा पट्टी में जो कुछ हुआ, उसने इस दावे की सारी हवा निकाल कर रख दी है। एक ऐसी घटना जिसने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को हिला दिया, इजरायल की छवि को धक्का पहुँचाया और खुद प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को सार्वजनिक तौर पर माफी माँगने के लिए मजबूर कर दिया।
तो क्या हुआ था जिसने "दुनिया की सबसे नैतिक सेना" के प्रधान को झुकना पड़ा? आइए, इस पूरे मामले को विस्तार से समझते हैं।
कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर एक वीडियो आग की तरह वायरल हुआ। इस वीडियो में इजरायली सैनिकों के एक समूह को कुछ निर्दोष, निहत्थे फिलिस्तीनियों के शवों के साथ मजाक करते और उनका मखौल उड़ाते हुए देखा जा सकता था। सैनिकों के चेहरे पर जीत का अहंकार साफ झलक रहा था, जबकि जमीन पर मासूमों के शव पड़े थे। यह दृश्य इतना भयावह और दिल दहला देने वाला था कि देखने वाला कोई भी व्यक्ति सदमे से उबर नहीं पा रहा था।
यह वीडियो गाजा के एक इलाके का था, जहाँ इजरायली सेना ने हमला करके कई लोगों को मार डाला था। मगर, मौत के बाद भी उन निर्दोष लोगों को चैन नसीब नहीं हुआ। सैनिकों का यह व्यवहार मानवता के लिए एक कलंक था।
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आक्रोश और आलोचना का तूफान
- जैसे ही यह वीडियो वायरल हुआ, दुनिया भर से आवाजें उठनी शुरू हो गईं।
- मानवाधिकार संगठनों ने इसकी कड़ी निंदा करते हुए इसे 'युद्ध अपराध' तक करार दिया।
- संयुक्त राष्ट्र ने इजरायल से तुरंत एक स्वतंत्र जाँच की माँग की।
- अरब देशों के साथ-साथ यूरोप के कई देशों ने भी इस नृशंसता पर गहरी नाराजगी जताई।
- सोशल मीडिया पर #IsraelWarCrimes जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे और दुनिया भर के लोग इजरायल की इस बर्बरता के खिलाफ आवाज उठाने लगे।
- यह आलोचना सिर्फ बाहरी नहीं थी। इजरायल के भीतर भी कई सेना veterans (दिग्गजों), राजनीतिक विश्लेषकों और आम नागरिकों ने इस घटना पर शर्मिंदगी जताई और सेना के इस व्यवहार की निंदा की। उनका कहना था कि ऐसा करके कुछ सैनिक पूरी इजरायली सेना की प्रतिष्ठा को धूमिल कर रहे हैं।
इस बार इजरायल के लिए इस घटना को नजरअंदाज कर पाना मुश्किल हो गया था। दबाव इतना ज्यादा था कि प्रधानमंत्री नेतन्याहू को सार्वजनिक तौर पर इसके लिए बयान देना पड़ा।
उन्होंने कहा, "गाजा में हुई यह घटना इजरायल रक्षा बल (IDF) के मूल्यों के खिलाफ है। यह हमारे लिए स्वीकार्य नहीं है। सेना इसकी पूरी तरह से जाँच करेगी और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।"
नेतन्याहू की इस "माफी" के पीछे कई कारण थे:
1. छवि का नुकसान: इजरायल लंबे समय से अपनी सेना को 'नैतिक' और 'अनुशासित' के रूप में पेश करता आया है। इस वीडियो ने उस पूरी छवि को गहरा झटका दिया था। अब दुनिया इजरायल को एक 'अनियंत्रित' सेना के रूप में देख रही थी।
2. अमेरिका का दबाव: इजरायल का सबसे बड़ा सहयोगी अमेरिका भी इस घटना से नाराज था। अमेरिकी प्रशासन ने इस मामले में गंभीरता से जाँच करने का इजरायल पर दबाव बनाया था।
3. भविष्य की रणनीति: गाजा युद्ध के बाद की स्थिति को लेकर इजरायल को अंतरराष्ट्रीय समुदाय का समर्थन चाहिए। ऐसे में उसके लिए खुद को एक जिम्मेदार देश साबित करना जरूरी था। इस घटना पर प्रतिक्रिया न देना भविष्य के लिए नुकसानदेह हो सकता था।
4. घरेलू राजनीति: नेतन्याहू की सरकार पहले से ही घरेलू मोर्चे पर कमजोर है। ऐसे में सेना की इस हरकत ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दी थीं। माफी माँगकर वे घरेलू स्तर पर भी अपनी जिम्मेदारी दिखाना चाहते थे
।क्या केवल माफी माँग लेना ही काफी है?
यह सबसे बड़ा सवाल है। क्या सिर्फ एक बयान दे देने और जाँच का वादा कर देने से मामला खत्म हो जाता है? शवों का मजाक उड़ाने वाले सैनिकों के खिलाफ कितनी कड़ी कार्रवाई होगी? क्या यह पहली बार हुआ है या ऐसा पहले भी होता रहा है और सिर्फ यह वीडियो लीक हो गया?
इन सवालों के जवाब अभी बाकी हैं। इजरायल की सरकार के लिए यह एक परीक्षा की घड़ी है। अगर उसने इस मामले में नरम रवैया अपनाया, तो दुनिया का विश्वास फिर से हासिल कर पाना मुश्किल होगा।
गाजा में यह घटना कोई अकेली घटना नहीं है। यह एक लंबे और दर्दनाक संघर्ष का एक कड़वा अध्याय है। यह घटना यह साबित करती है कि युद्ध कितना भी 'जस्टिफाइड' या 'जरूरी' क्यों न हो, उसकी सबसे बड़ी कीमत आम नागरिकों और मानवता को चुकानी पड़ती है।
नेतन्याहू की माफी एक राजनीतिक मजबूरी थी, लेकिन उससे उन निर्दोष लोगों की जिंदगी वापस नहीं आएगी, जो इस संघर्ष में मारे गए हैं। सच्ची माफी तो तब होगी जब ऐसे युद्धों और रक्तपात को रोकने के लिए ठोस और न्यायसंगत समाधान की ओर कदम बढ़ाया जाएगा। जब तक ऐसा नहीं होता, तब तक ऐसी घटनाएँ मानवता के माथे पर एक कलंक बनी रहेंगी।
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