बिहार की राजनीतिक जमीन एक बार फिर से गरमा गई है। इस बार की चिंगारी है RJD के युवा नेता और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव के खिलाफ दर्ज की गई एक FIR। मामला पुराना है लेकिन इस पर हाल ही में हुई कार्रवाई ने एक नया राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है। तेजस्वी ने इस FIR पर न सिर्फ जोरदार पलटवार किया है, बल्कि केंद्र की मोदी सरकार और राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को भी निशाने पर ले लिया है। उनका कहना है कि वह और उनकी पार्टी "मोदी से नहीं डरते"।
लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर यह FIR है क्या? तेजस्वी इतने गुस्से में क्यों हैं? और राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का इस पूरे मामले में क्या रोल है? चलिए, इस पूरे घटनाक्रम को विस्तार से समझते हैं।
यह सारा विवाद बिहार में एक तथाकथित 'भूमि कब्जा घोटाले' (Land for Job Scam) के आसपास घूम रहा है। आरोप है कि जब तेजस्वी यादव बिहार में रेल मंत्री थे (उस वक्त उनके पिता और RJD सुप्रीम लालू प्रसाद यादव केंद्र में रेल मंत्री थे), तब रेलवे में नौकरियों के बदले में भूमि का अवैध लेन-देन किया गया था। इन आरोपों की जांच CBI कर रही है।
हालाँकि, ताजा विवाद CBI की जांच से सीधे नहीं, बल्कि एक अलग FIR से जुड़ा है। दरअसल, एक वकील सुदीप झा ने तेजस्वी यादव और उनके परिवार के खिलाफ धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के आरोपों में एक शिकायत दर्ज की थी। इस शिकायत पर अब कोर्ट के निर्देश के बाद पटना के एक पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज की गई है। यही FIR अब आग का गोला बन गई है।
"मोदी से नहीं डरते हम": तेजस्वी का जोरदार पलटवार
FIR दर्ज होने की खबर मिलते ही तेजस्वी यादव ने इसे एक "राजनीतिक साजिश" करार दिया। उन्होंने मीडिया से बातचीत में अपना गुस्सा साफ जाहिर किया। उनका कहना था कि यह सब केंद्र में बैठी BJP सरकार की देन है, जो RJD और उनके परिवार को निशाना बना रही है।
तेजस्वी ने कहा, "हम मोदी जी से नहीं डरते। हमारे खिलाफ जितनी FIR करनी है, कर लें। हमारे पिता जी (लालू प्रसाद यादव) के खिलाब तो 60-70 केस बनाए गए, लेकिन क्या हुआ? हम लोग डरने वाले नहीं हैं। यह सरकार एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है।"
उन्होंने आगे कहा कि यह सब BJP की हार का डर है। उन्होंने कहा, "जनता जनार्दन है, वह सब देख रही है। आने वाले चुनाव में जनता जवाब देगी।"
तेजस्वी के इस बयान ने एक clear political message दिया है – कि वह पीछे हटने वालों में से नहीं हैं और सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और BJP को चुनौती दे रहे हैं।
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान: विवाद में क्यों घिरे?
इस पूरे मामले का एक दिलचस्प पहलू बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान की भूमिका है। तेजस्वी यादव और RJD ने सीधे तौर पर राज्यपाल पर आरोप लगाया है कि वह केंद्र सरकार के इशारे पर काम कर रहे हैं और इस FIR को बढ़ावा दे रहे हैं।
आरोप यह है कि जिस वकील ने यह शिकायत दर्ज की थी, वह राज्यपाल के साथ मिलकर काम कर रहा है। RJD नेता यह कह रहे हैं कि राज्यपाल का पद एक संवैधानिक पद है और उन्हें राजनीति में तटस्थ रहना चाहिए, लेकिन राज्यपाल खान सक्रिय रूप से सरकार के खिलाफ बयानबाजी करते नजर आते हैं।
तेजस्वी के समर्थकों का मानना है कि राज्यपाल ने शिकायतकर्ता को "सहयोग" दिया, जिससे यह मामला और तेज हुआ। हालाँकि, राजभवन की तरफ से इस संबंध में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। फिर भी, राज्यपाल का नाम इस विवाद में उलझने से स्थिति और भी अधिक जटिल हो गई है।
राजनीतिक समीकरण: क्या है आगे की रणनीति?
इस पूरे घटनाक्रम को बिहार की जटिल राजनीति के नजरिए से देखना जरूरी है।1. RJD की रणनीति: तेजस्वी यादव ने इस FIR को अपने पक्ष में एक 'हथियार' के तौर पर इस्तेमाल किया है। वह खुद को और अपनी पार्टी को BJP का 'शिकार' घोषित कर रहे हैं। इससे उनकी 'पीड़ित' की छवि बनेगी और उनके वोट बैंक में और मजबूती आ सकती है। यह एक क्लासिक 'अंडरडॉग' की रणनीति है।
2. BJP की रणनीति: BJP, RJD पर भ्रष्टाचार के आरोपों को लगातार उछालकर उन्हें 'बदनाम' करना चाहती है। इससे न केवल RJD की छवि खराब होगी, बल्कि मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए भी RJD के साथ गठबंधन करना मुश्किल होगा। BJP की कोशिश है कि भ्रष्टाचार का मुद्दा चुनावी एजेंडे पर बना रहे।
3. नीतीश कुमार का रुख: सबसे दिलचस्प बात यह है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी JD(U) इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं। नीतीश कुमार RJD के साथ गठबंधन में हैं, लेकिन वह इस मामले में खुलकर तेजस्वी का समर्थन नहीं कर रहे हैं। यह चुप्पी बिहार की राजनीति की अनिश्चितता को दर्शाती है।
निष्कर्ष: जनता के सामने है सवाल
आखिरकार, यह मामला कोर्ट-कचहरी में तो तय होगा ही, लेकिन इसकी सबसे बड़ी लड़ाई 'जनता की अदालत' में लड़ी जाएगी। तेजस्वी यादव ने अपना पक्ष रख दिया है। अब यह बिहार की जनता पर है कि वह इस FIR को एक 'राजनीतिक साजिश' के तौर पर देखती है या फिर 'भ्रष्टाचार का एक सच'।
एक बात तो तय है कि बिहार की सियासत में यह नया विवाद आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों के एजेंडे को तय करेगा। तेजस्वी का यह उबाल और उनकी "हम नहीं डरते" वाली चुनौती, बिहार की राजनीति के अगले अध्याय का आधार बनेगी।
क्या आपको लगता है कि यह FIR एक राजनीतिक साजिश है या भ्रष्टाचार के खिलाफ एक जरूरी कार्रवाई? अपनी राय नीचे कमेंट में जरूर साझा करें।
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