प्रस्तावना
9–10 सितंबर, 2025 की घटनाएं मध्य-पूर्व के राजनीतिक परिदृश्य में एक नया संकट लेकर आई हैं। इस्राइल द्वारा क़तर की राजधानी दोहा में हमास नेतृत्व को लक्षित करने वाले एयरस्ट्राइक ने क्षेत्रीय और वैश्विक राजनीति को हिला कर रख दिया है। इस लेख में, हम अरब देशों की प्रतिक्रियाएँ, सामूहिक रुख, कूटनीतिक परिणाम, और संभावित “मुँहतोड़ जवाब” पर गहन संवाद करेंगे।
1. हमले की पृष्ठभूमि और घटनाक्रम
- हमले का समय और लक्ष्य: 9 सितंबर, 2025 को इस्राइल ने दोहा में हमास के राजनीतिक नेतृत्व को निशाना बनाकर एयरस्ट्राइक किया। इसमें हमास के पाँच सदस्यों और एक क़तरी सुरक्षा अधिकारी की मौत हुई, जबकि कई वरिष्ठ नेता बच गए।
- विश्व प्रतिक्रिया: इस हमले को कई देशों ने अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन और क़तर की संप्रभुता का तोड़ माना। संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ, तुर्की, मिस्र, जर्मनी, ईरान और ब्रिटेन ने कड़ी निंदा की
2. अरब देशों की संवादात्मक प्रतिक्रियाएँ
क़तर
- क़तर के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुल्रहमान अल-थानी ने हमले को “राज्य आतंकवाद” बताया और पूरे क्षेत्र से व्यापक प्रतिक्रिया की मांग की है।
लेबनान (हीज्बोल्लाह)
- हीज्बोल्लाह के उप महासचिव निर्म कैसsem ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर इस्राइल ने मिलिटेंट समूहों को खत्म किया, तो खाड़ी देशों पर भी निशाना साधा जा सकता है।
3. वैश्विक शक्ति प्रतिक्रिया—अरब देशों और अन्य की बढ़ती आक्रोश
- तुर्की: राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन ने इस हमला को अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन और क़तर की संप्रभुता का अपमान बताया।
- रूस: रूसी विदेश मंत्रालय ने हमले को संयुक्त राष्ट्र चार्टर का “गंभीर उल्लंघन” कहा और संभावित क्षेत्रीय उथल-पुथल की आशंका जताई।
- चीन: क़तर की संप्रभुता के उल्लंघन पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई और इस्राइल से सीमाओं को पार न करने की अपील की।
- यूके: प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने इस हमले को व्यापारिक और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए गंभीर खतरा माना, और तत्काल संघर्ष विराम व मानवीय राहत की बात कही।
- भारत: भारत ने गहरी चिंता व्यक्त की और सभी पक्षों से संयम व कूटनीतिक संवाद पर जोर दिया।
4. क्या आयेगा मुँहतोड़ जवाब?—संभाव्यता और रणनीति
- टनीतिक और सैन्य विकल्प:
- मौन से कूटनीतिक बहिष्कार: अरब लीग या संगठनात्मक स्तर पर उच्च स्तरीय राजनीतिक बहिष्कार या अल्पकालिक पथ-प्रदर्शन कर सकते हैं।
- सीमा पर सैन्य सजगता: हमले की प्रतिक्रिया स्मृति में रखते हुए, सैन्य प्रतिष्ठानों पर अतिरिक्त चौकसी बढ़ सकती है।
- बंदरगाह या आर्थिक दबाव: तेल या अन्य व्यापारिक माध्यमों द्वारा खाड़ी देशों से इस्राइल पर आर्थिक दबाव का प्रयोग संभव है।
- अनुमित जवाब की आशंका: हीज्बोल्लाह जैसी गैर-राज्य actors की ओर से प्रतिशोधी कार्रवाई हो सकती है; लेकिन अरब राज्यों की संयमपूर्ण रणनीति आज तक प्रमुख रही है।
निष्कर्ष
दोहा पर हुए इस्राइली हमले ने क्षेत्रीय स्थिरता को गहराई से प्रभावित किया, और अब यह सवाल है कि क्या अरब देश मुँहतोड़ जवाब देने की राह पर हैं? वर्तमान समय में उनका रुख संयमपूर्ण है—वे कूटनीतिक दबाव, वैश्विक समर्थन और आर्थिक जरिया से इस्राइल को आक्रोशित करने की रणनीति अपना सकते हैं। जब तक कोई स्पष्ट सैन्य कार्रवाई न हो, हमें संयम, विशुद्ध सूचना और मानवीय तनाव की सुनिशित भाषा के साथ घटनाओं को देखना चाहिए।
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