परिचय
- इसराइल और हमास के बीच चल रहा संघर्ष अब एक नए मोड़ पर पहुँच गया है। हाल ही में, हमास पर सैन्य दबाव बनाने की इसराइल की रणनीति उस पर भारी पड़ती दिख रही है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को अब हमास की शर्तों को मानने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। यह लेख इस संघर्ष के पीछे की वजहों, इसराइल की चुनौतियों और भविष्य में होने वाले राजनीतिक बदलावों पर विस्तार से चर्चा करेगा।
- गाजा पट्टी में हमास का प्रभुत्व लंबे समय से इसराइल के लिए सिरदर्द बना हुआ है। 2007 से ही हमास ने गाजा पर नियंत्रण कर लिया था, और तब से इसराइल ने कई बार सैन्य कार्रवाई की है। लेकिन हर बार हमास और उसके सहयोगी समूहों ने जवाबी हमले किए, जिससे इसराइल को भारी नुकसान उठाना पड़ा।
- इसराइल ने हमेशा से "आयरन डोम" जैसी तकनीक और सैन्य शक्ति पर भरोसा किया है। लेकिन हाल के हमलों में हमास ने अधिक उन्नत मिसाइलों और गुरिल्ला युद्ध तकनीकों का इस्तेमाल किया, जिससे इसराइल को बड़े पैमाने पर आर्थिक और मानवीय नुकसान हुआ।
आर्थिक प्रभाव: युद्ध के कारण इसराइल की अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ा है। सैन्य खर्च बढ़ने से देश के बजट में कटौती करनी पड़ रही है।
- अंतरराष्ट्रीय दबाव: संयुक्त राष्ट्र और कई पश्चिमी देश इसराइल की सैन्य कार्रवाई की आलोचना कर रहे हैं।
- मानवीय संकट: गाजा में हजारों निर्दोष लोग मारे गए हैं, जिससे इसराइल की छवि खराब हुई है।
- प्रधानमंत्री नेतन्याहू लंबे समय से सत्ता में हैं, लेकिन हाल के घटनाक्रम ने उनकी स्थिति को कमजोर कर दिया है।
- घरेलू राजनीति में दबाव
- इसराइल की जनता युद्ध से थक चुकी है और शांति चाहती है।
- सेना के अंदर भी असंतोष बढ़ रहा है क्योंकि लंबे संघर्ष से सैनिकों का मनोबल गिर रहा है।
- नेतन्याहू सरकार को अमेरिका सहित कई पश्चिमी देशों से कम समर्थन मिल रहा है। बाइडन प्रशासन ने भी इसराइल को संघर्ष विराम का प्रस्ताव दिया है, जिसे नेतन्याहू को मानना पड़ सकता है।
- हमास की शर्तें और इसराइल की मजबूरी
- हमास ने कई शर्तें रखी हैं, जिनमें शामिल हैं:
- युद्धबंदियों की रिहाई।
- पुनर्निर्माण के लिए अंतरराष्ट्रीय सहायता।
भविष्य की संभावनाएँ
- संघर्ष विराम: दोनों पक्षों के बीच एक अस्थायी शांति समझौता हो सकता है।
- राजनीतिक बदलाव: नेतन्याहू की सरकार के पतन की आशंका बढ़ रही है।
- अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता: मिस्र और कतर जैसे देश शांति वार्ता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
इसराइल को हमास के साथ युद्ध की भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। नेतन्याहू सरकार अब मजबूर होकर हमास की शर्तों को मानने पर विचार कर रही है। अगर शांति समझौता होता है, तो यह क्षेत्र के लिए एक नई शुरुआत हो सकती है।
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