🔴 भूमिका
मध्य पूर्व में जारी इसराइल-गाज़ा संघर्ष ने वैश्विक स्तर पर चिंता की लहरें पैदा कर दी हैं। अब जब गाज़ा में मरने वालों की संख्या 60,000 के पार जा चुकी है, अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी में बेचैनी साफ देखी जा सकती है। इस बीच, ब्रिटेन की ओर से आया एक बड़ा ऐलान इसराइल को रास नहीं आया है, जिससे रिश्तों में दरार की आहट सुनाई दे रही है। वहीं, इसराइली सेना का एक कमांडर टिक-टॉक जैसे सोशल मीडिया मंच पर नजर आया है, जिसने इस संघर्ष को एक नया मोड़ दे दिया है।
🇬🇧 ब्रिटेन का बड़ा ऐलान और इसराइल की नाराज़गी
ब्रिटेन ने हाल ही में गाज़ा पट्टी में मानवीय संकट को देखते हुए इसराइल के खिलाफ कड़े सुर अपनाए हैं। ब्रिटिश संसद में कई सांसदों ने इसराइल के हमलों को “अनुचित बल प्रयोग” बताया है। साथ ही, ब्रिटेन सरकार ने हथियारों के निर्यात पर पुनर्विचार करने की घोषणा की है।
ब्रिटेन ने यह भी संकेत दिया है कि वह फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने पर गंभीरता से विचार कर रहा है। यह घोषणा इसराइल को खासी चुभी है। इसराइली विदेश मंत्रालय ने ब्रिटेन के बयान को "एकतरफा और भ्रामक" करार दिया और कहा कि इससे शांति प्रक्रिया को धक्का पहुंचेगा।
🕊️ गाज़ा में मानवीय त्रासदी: 60,000+ मौतें
गाज़ा में हालात दिन-ब-दिन बदतर होते जा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र और रेड क्रॉस जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के अनुसार, इस संघर्ष में अब तक 60,000 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, जिनमें महिलाओं और बच्चों की संख्या भयावह है।
स्वास्थ्य सेवाएं ध्वस्त हो चुकी हैं, पानी और बिजली की भारी कमी है, और लोग पलायन को मजबूर हैं। इसराइल की घेराबंदी और लगातार बमबारी ने गाज़ा को “खुले आसमान के नीचे की जेल” बना दिया है।
मानवाधिकार संगठनों ने इसे “मानवता के खिलाफ अपराध” बताया है और अंतरराष्ट्रीय अदालतों में इसराइल पर मुकदमा चलाने की मांग उठाई है।
🎥 टिक-टॉक में घुसा इसराइल का कमांडर: मनोवैज्ञानिक युद्ध?
इसराइली सेना के एक वरिष्ठ कमांडर की टिक-टॉक पर मौजूदगी ने सबको चौंका दिया। कई वीडियो में वह गाज़ा के नष्ट किए गए इलाकों में घूमते हुए नजर आता है, जिसमें युद्ध के दृश्यों को “गौरव” की तरह पेश किया गया है।
इन वीडियोज़ का उद्देश्य केवल सैन्य जीत दिखाना नहीं, बल्कि एक तरह का मनोवैज्ञानिक युद्ध भी माना जा रहा है — जिससे विरोधी पक्ष को हतोत्साहित किया जा सके। आलोचकों का मानना है कि इसराइल सोशल मीडिया को “युद्ध के मैदान” की तरह इस्तेमाल कर रहा है।
हालांकि, यह कदम इसराइल की छवि पर भी भारी पड़ सकता है। दुनिया भर में युवाओं में लोकप्रिय प्लेटफॉर्म पर युद्ध के समर्थन वाली सामग्री लोगों के गुस्से का कारण बन रही है।
🌍 अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया और भारत की भूमिका
संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ और अब ब्रिटेन जैसे देशों के रुख से साफ है कि इसराइल अब वैश्विक दबाव में है। अमेरिका तक ने अब "संयम" बरतने की अपील की है, हालांकि वह अभी भी इसराइल का प्रमुख समर्थक बना हुआ है।
भारत ने अभी तक संतुलित रुख बनाए रखा है, लेकिन लगातार बढ़ती मौतों और मानवीय संकट को देखते हुए देश के भीतर भी आवाज़ें उठने लगी हैं कि भारत को एक स्पष्ट स्थिति लेनी चाहिए।
📱 सोशल मीडिया युद्ध: जानकारी या प्रोपेगेंडा?
इस युद्ध में एक अनदेखा लेकिन अहम मोर्चा है – सोशल मीडिया। इसराइल जहां अपने कमांडरों के वीडियो और प्रचार सामग्री से अपना पक्ष मजबूत कर रहा है, वहीं गाज़ा से भी कई भयावह तस्वीरें सामने आ रही हैं जो इस युद्ध के असली चेहरे को उजागर करती हैं।
टिक-टॉक, इंस्टाग्राम, ट्विटर जैसे मंच अब युद्ध का मैदान बन गए हैं, जहां जनता की राय बनती और बिगड़ती है।
🔚 निष्कर्ष: क्या अब शांति संभव है?
ब्रिटेन का यह बड़ा ऐलान इस बात का संकेत है कि अब पश्चिमी देश भी इसराइल की नीतियों पर सवाल उठाने लगे हैं। गाज़ा में 60,000 से अधिक मौतें केवल आंकड़े नहीं, बल्कि मानवता की कराहती हुई चीखें हैं। और इसराइली कमांडर का टिक-टॉक पर दिखना, इस पूरी त्रासदी को एक डिजिटल तमाशे में बदल रहा है।
दुनिया को अब केवल कड़ी बयानबाजी से आगे बढ़कर ठोस कदम उठाने होंगे — वरना यह संकट एक और पीढ़ी को निगल जाएगा।
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